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राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने गरिमामय कार्यक्रम में दौसा न्यायालय परिसर में नवनिर्मित भवनों का लोकार्पण किया— नवमिर्मित भवनों में 6 न्यायालय किए जाएंगे संचालित— न्यायाधीशगण ने पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया
जयपुर, 31 जुलाई। देवभूमि दौसा की धरती गुरुवार को एक ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी, जब न्याय के मंदिर की नई कड़ी के रूप में नवनिर्मित न्यायालय भवनों का लोकार्पण समारोह अत्यंत गरिमामयी एवं प्रेरणादायक वातावरण में सम्पन्न हुआ। राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति श्री श्रीराम कलपाति राजेन्द्रन के कर-कमलों से दौसा न्यायालय भवन में नवनिर्मित छह न्यायालय भवनों का लोकार्पण किया गया। मुख्य न्यायाधिपति श्री श्रीराम कलपति राजेन्द्रन ने राजस्थान उच्च न्यायालय में कार्यभार ग्रहण के बाद पहली बार दौसा में आगमन किया। उन्होंने कहा कि दौसा की धरती, पंच महादेव और चाँद बावड़ी जैसे धरोहरों से समृद्ध है और वे यहां आकर अभिभूत हैं। उन्होंने नवीन न्यायालय भवन के बारे में बताया कि यह भवन न्याय वितरण को दक्षता, गरिमा और संवेदनशीलता से जोड़ने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है। राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधिपति श्री संजीव प्रकाश शर्मा ने दौसा को देवनगरी कहकर नमन किया और इसे न्यायिक संस्कृति की समृद्ध भूमि बताया। उन्होंने नवीन न्यायालय भवन को न केवल संरचनात्मक आवश्यकता की पूर्ति बल्कि न्याय को गरिमा और संवेदनशीलता के साथ जनता तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम बताया। न्यायाधीश श्री संजीव प्रकाश शर्मा ने कहा कि यह भवन न्यायालय की आत्मा को स्थान देने वाला माध्यम है, जहाँ प्रत्येक वादी को न केवल न्याय मिलेगा बल्कि न्याय का अनुभव भी होगा। उन्होंने दौसा न्यायक्षेत्र की कार्य संस्कृति, न्यायिक अधिकारियों की प्रतिबद्धता एवं बार के सहयोग की विशेष प्रशंसा की। दौसा के संरक्षक न्यायाधीश श्री समीर जैन ने कहा कि यह भवन केवल ईंट-पत्थर की संरचना नहीं बल्कि न्याय के प्रति विश्वास की नींव और संवैधानिक आदर्शों का कंगूरा है। उन्होंने बताया कि यह भवन समर्पण, समन्वय और समयबद्ध निष्पादन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। न्यायाधिपति ने न्यायालय के महत्त्व को समझाते हुए कहा कि, '' ये दीवारें भले ही बोलती नहीं, पर इनके फैसले बनते हैं पहचान। जब न्याय हो जाए सभी के लिए सुलभ,तब भवनों में बसता है संविधान। इस अवसर पर राजस्थान उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल श्री चंचल मिश्रा एवं मुख्य न्यायाधिपति के प्रधान निजी सचिव श्री अजय सिंह की गरिमामयी उपस्थिति भी उल्लेखनीय रही। समस्त अतिथियों का परंपरागत राजस्थानी साफा पहनाकर एवं हरित प्रतीक स्वरूप पौधा भेंट कर भावपूर्ण स्वागत एवं सम्मान किया गया जिससे समारोह में सांस्कृतिक गरिमा और पर्यावरणीय संदेश का सुंदर समन्वय देखने को मिला। इस गरिमामयी अवसर पर मुख्य न्यायाधिपति श्री श्रीराम कलपति राजेन्द्रन के साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती उषा श्रीराम की भी सान्निध्यपूर्ण उपस्थिति रही। इसी प्रकार संरक्षक न्यायाधिपति श्री समीर जैन के साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शुचि सिंघवी जैन की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी गरिमा प्रदान की। इस नवीन भवन में 6 न्यायालय संचालित किए जाएंगे जिनमें पारिवारिक न्यायालय, पोक्सो न्यायालय, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी),अपर जिला एवं सत्र न्यायालय, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-2 और अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय शामिल हैं। यह निर्माण कार्य वित्त विभाग की स्वीकृति 6 अगस्त, 2020 तथा विधि विभाग की सहमति 21 अगस्त, 2020 के अनुसार 834.40 लाख रुपए की लागत से पूरा किया गया जिसमें 500.64 लाख की राशि केंद्रीय प्रायोजित योजना (सीएसएस) से तथा ₹333.76 लाख रुपए की राशि राज्य निधि (एसएफ) से स्वीकृत की गई थी। इसके अतिरिक्त 92.50 लाख रुपए की राशि इंटरनल रोड वर्क एवं लैंड स्केपिंग के लिए स्वीकृत की गई। सभी कोर्ट रूम्स में कैसेट एसी सुविधा है। न्यायाधीश कक्षों में पूर्ण वातानुकूलन,सभी कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग प्वाइंट्स, दिव्यांगों हेतु रैम्प, विशेष शौचालय लिफ्ट्स, अग्निशमन सिलेंडर, 6 आरओ युक्त वाटर कूलर, सुन्दर लैंडस्केपिंग, पक्की इंटरनल सड़कें और ग्रीन एरिया की भी सुविधा है।#breakingnews #news #rajasthannews #currentnews #indianews #politicalnews #newstoday #latestnews #viralnews #todaysnews